Wednesday, October 7, 2009


हिन्दू धर्म में भगवान शिव को अनेक नामों से पुकारा जाता है
  • रूद्र - रूद्र से अभिप्राय जो दुखों का निर्माण व नाश करता है।
  • पशुपतिनाथ - भगवान शिव को पशुपति इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह पशु पक्षियों व जीवआत्माओं के स्वामी हैं
  • अर्धनारीश्वर - शिव और शक्ति के मिलन से अर्धनारीश्वर नाम प्रचलित हुआ।
  • महादेव - महादेव का अर्थ है महान ईश्वरीय शक्ति।
  • भोला - भोले का अर्थ है कोमल हृदय, दयालु व आसानी से माफ करने वाला। यह विश्वास किया जाता है कि भगवान शंकर आसानी से किसी पर भी प्रसन्न हो जाते हैं।
  • लिंगम - यह रोशनी की लौ व पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक है।
  • नटराज - नटराज को नृत्य का देवता मानते है क्योंकि भगवान शिव तांडव नृत्य के प्रेमी हैं।शान्ति नगर स्थित शिवशक्ति दुर्गा मंदिर के पं. सोहनानंद जी महाराज ने बताया कि शिवरात्रि को रात्रि में चार बार हर तीन घंटे बाद रुद्राभिषेक किया जाता है। इससे जातक का कालसर्प दोष व सभी गृहदोष दूर हो जाते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग में करवा चौथ
भास्कर न्यूज Tuesday, October 06, 2009 08:33 [IST]
उज्जैन. महिलाएं करवाचौथ का व्रत अपने सुहाग की दीर्घायु और खुशहाल दाम्पत्य जीवन के लिए करती हैं। बुधवार (7 अक्टूबर) को चतुर्थी पर महिलाएं दिनभर व्रत रखेंगी। रात में शिव-पार्वती का पूजन करने के साथ चौथ माता की कथा सुनेंगी और चंद्रमा निकलने पर पूजन के बाद करवे का जल लेकर भोजन ग्रहण करेंगी। कई जगह सामूहिक पूजन भी होगा।


ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला के अनुसार चतुर्थी (9 घटी, 4 पल) अर्थात 10 घंटे 2 मिनट रहेगी, जो बुधवार को प्रात: 10.30 से प्रारंभ होकर रात 8.30 बजे तक रहेगी। करवाचौथ पर्व कर्णयोगाहा, भरणी नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ 32 साल बाद आ रही है। इसके पहले यह योग 1977 में बना था। बुधवार दोपहर १२.१क् बजे गुरु मार्गी होंगे और 3.15 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होगा, जो चंद्र दर्शन तक प्रभावशील रहेगा।


चंद दर्शन- पंचाग के मुताबिक बुधवार को चंद्र दर्शन शाम करीब 7.40 पर होगा। व्रत का पूर्ण लाभ लेने के लिए महिलाएं रात 10.30 बजे बाद चंद्र पूजन करें क्योंकि इस समय चंद्रमा 13 से 16 कला में होता है। ज्योतिषीय गणना में चंद्र पूजन इन्हीं कलाओं में श्रेष्ठ माना गया है।

करवा चौथ

करवा चौथ भारत में मुख्यत: उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मनाया जाता है। इस पर्व पर विवाहित औरतें अपने पति की लम्बी उम्र के लिये पूरे दिन का व्रत रखती हैं और शाम को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत समाप्त करती हैं। इस दिन भगवान शिव, पार्वती जी, गणेश जी, कार्तिकेय जी और चांद की पूजा की जाती हैं।
शुरूआत और महतव : इस पर्व की शुरूआत एक बहुत ही अच्छे विचार पर आधारित थी। मगर समय के साथ इस पर्व का मूल विचार कहीं खो गया और आज इसका पूरा परिदृश्य ही बदल चुका है।
पुराने जमाने में लड़कियों की शादी बहुत जल्दी कर दी जाती थी और उन्हें किसी दूसरे गांव में अपने ससुराल वालों के साथ रहना पड़ता था। अगर उसे अपने पति या ससुराल वालों से कोई परेशानी होती थी तो उसके पास कोई ऐसा नहीं होता था जिससे वो अपनी बात कह सके या मदद मांग सके। उसके अपने परिवार वाले और रिश्तेदार उसकी पहुंच से काफी दूर हुआ करते थे। उस जमाने में ना तो टेलीफोन होता था, ना बस और ना ही ट्रेन।
इस तरह एक रिवाज की शुरुआत हुई कि शादी के समय जब दुल्हन अपने ससुराल पहुंचेगी तो उसे वहां एक दूसरी औरत को दोस्त बनाना होगा जो उम्र भर उसकी बहन या दोस्त की तरह रहेगी। ये धर्म-सखी या धर्म-बहन के जैसा होगा। उनकी मित्रता एक छोटे से हिन्दू पूजन समारोह द्वारा शादी के समय ही प्रमाणित की जायेगी। एक बार दुल्हन और इस औरत के धर्म-सखी या धर्म-बहन बन जाने के बाद जिन्दगी भर इस रिश्ते को निभायेंगी। वे आपस में सगी बहनों जैसा बर्ताव करेंगी।
बाद में किसी तरह की परेशानी होने पर, चाहे वो पति या ससुराल वालों की तरफ से हो, ये दोनों औरतें आपस में बात कर सकती हैं या एक दूसरे की मदद कर सकती हैं। एक दुल्हन और उसकी धर्म-सखी (धर्म-बहन) के बीच इस मित्रता (सम्बन्ध) को एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
इस तरह करवा चौथ की शुरुआत हुई। पति की भलाई के लिए पूजा और व्रत इसके बहुत बाद में शुरु हुआ। ऐसी आशा है कि इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाने के लिए इसे पुरानी कथाओं के साथ जोड़ दिया गया।
मूलत: करवा चौथ इस धर्म-सखी (धर्म-बहन) के रिश्ते को फिर से नवीन रूप देने और मनाने का सालाना पर्व है। ये उस समय की एक सर्वश्रेष्ठ सामाजिक और सांस्कृतिक महानता थी जब दुनिया में बातचीत के तरीकों की कमी थी और आना-जाना इतना आसान नहीं था।
परम्परागत कथा (रानी वीरवती की कहानी): बहुत समय पहले वीरवती नाम की एक सुन्दर लड़की थी। वो अपने सात भाईयों की इकलौती बहन थी। उसकी शादी एक राजा से हो गई। शादी के बाद पहले करवा चौथ के मौके पर वो अपने मायके आ गई। उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन पहला करवा चौथ होने की वजह से वो भूख और प्यास बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वह बेताबी से चांद के उगने का इन्तजार करने लगी। उसके सातों भाई उसकी ये हालत देखकर परेशान हो गये। वे अपनी बहन से बहुत ज्यादा प्यार करते थे। उन्होंने वीरवती का व्रत समाप्त करने की योजना बनाई और पीपल के पत्तों के पीछे से आईने में नकली चांद की छाया दिखा दी। वीरवती ने इसे असली चांद समझ लिया और अपना व्रत समाप्त कर खाना खा लिया। रानी ने जैसे ही खाना खाया वैसे ही समाचार मिला कि उसके पति की तबियत बहुत खराब हो गई है।
रानी तुरंत अपने राजा के पास भागी। रास्ते में उसे भगवान शंकर पार्वती देवी के साथ मिले। पार्वती देवी ने रानी को बताया कि उसके पति की मृत्यु हो गई है क्योंकि उसने नकली चांद देखकर अपना व्रत तोड़ दिया था। रानी ने तुरंत क्षमा मांगी। पार्वती देवी ने कहा, ''तुम्हारा पति फिर से जिन्दा हो जायेगा लेकिन इसके लिये तुम्हें करवा चौथ का व्रत कठोरता से संपन्न करना होगा। तभी तुम्हारा पति फिर से जीवित होगा।'' उसके बाद रानी वीरवती ने करवा चौथ का व्रत पूरी विधि से संपन्न किया और अपने पति को दुबारा प्राप्त किया।
इस पर्व से संबंधित अनेक कथाएं प्रसिध्द हैं जिनमें सत्यवान और सावित्री की कहानी भी बहुत प्रसिध्द है।

Monday, October 5, 2009

गायत्री महामंत्र


गायत्री महामंत्र और उसका अर्थ
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
भावार्थ: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे ।
ओम् भूभुर्व: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।ड्ढr गायत्री दो शब्दों ‘गा’ और ‘त्रायते’ के योग से बना है। ‘गा’ का अर्थ गाना अथवा प्रार्थना करना और त्रायत का अर्थ है दु:खों, कष्टों और समस्याओं से मुक्ित। जो भी गायत्री मंत्र के अर्थ को जान लेता है तथा उसके उपदेशों को अपने व्यावहारिक जीवन में सत्यनिष्ठा और भक्ितभाव पूर्वक उतारता है, वह निश्चय ही कठिन से कठिन बाधाओं और समस्याओं को पार करता हुआ जीवन में सदा सर्वत्र आगे बढ़ता है। गायत्री मंत्र परमेश्वर प्राप्ति की तीनों प्रक्रियाओं अर्थात् स्तुति, प्रार्थना और उपासना के लिए है। इस मंत्र को सावित्री मंत्र, गुरुमंत्र और महामंत्र भी कहते हैं। ‘ओइम्’ ईश्वर अर्थात् ब्रह्मा का मुख्य नाम है। ईश्वर सृष्टि रचयिता और सर्वपालक हैं। प्राणस्वरूप तथा प्राणदाता परमेश्वर द्वारा प्रदत्त जीवनदायिनी शक्ित को ‘भू:’ कहा गया है। ईश्वर की परम चेतना शक्ित को ‘भुव:’ कहा गया है। परमेश्वर इस अनुपम शक्ित के द्वारा जीवमात्र के दु:ख, कष्ट, पीड़ा और निराशा को दूर कर ब्राह्मंड को नियंत्रित तथा संचालित करता है। ‘सविता’ देव हमें सुपथ पर चलन के लिए बु िदे। परमेश्वर प्रदत्त परमानंद ‘स्व:’ है। सृष्टि रचयिता, संचालक, जीवन प्रदाता, सर्वदु:खनाशक परमेश्वर परमानन्द से परिपूर्ण है। अत: परमेश्वर के विशेष गुणों को दर्शाने वाले भू, भुव: और स्व: शब्दों के द्वारा हम परमेश्वर की स्तुति करते हैं। ‘वरेण्यम’ अर्थात् हम ईश्वर की महानता को स्वीकार करते हैं। ‘भर्गो देवस्य धीमहि’ का उच्चारण कर हम उस देदीप्यमान परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमारे अज्ञान एवं दोषों को दूर करें। ‘धियो यो न: प्रचोदयात’ के द्वारा हम उस सृष्टिपालक परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमारी बु िऔर मन को श्रेष्ठ और उत्तम कर्मो में लगाएं। यह मंत्र हमारी बु िको बुमित्ता की ओर ले जाता है और कर्मो को प्रज्वलित करता है। लोकमान्य तिलक के शब्दों में यदि कुमार्ग का त्याग कर सन्मार्ग का अनुसरण करना चाहते हैं तो नित्य प्रति गायत्री मंत्र का जप कीजिए। यह किसी भी अवसर के लिए अत्यधिक उत्तम मंत्र है।ं
Gayatri mahamantra Hindus key 4 Vedos mein sey 3 vedos mein likha gaya hai..so it is really very powerful mantra like MAHAMRITUNJAY MANTRA
By S.P.Kulsari (my astro friend)

Sunday, July 5, 2009

DAILY NEWS

Tuesday, April 21, 2009

AKSHAYA TRITIYA

JAI MAA,

Akshaya Trithiya is on April 27, 2009

The third day of the bright-half of the lunar month of Vaisakha is Akshya Tritiya.'AKSHAYE' means 'that which does not diminish or perish.The word "Akshaya" means imperishable or eternal - that which never diminishes. Tritiya stands for the TRINITY. Trayamba Maha Kali Maha 
Laxmi and Maha Saraswati. In 2009, the date of Akshaya Trithiya is April 27. It is believed that by doing a good deed on this day one can earn Punya for life. Every minute of this day is considered sacred. It is considered to be one of the most auspicious days of the Vedic Calendar. According to Sanatan Dhrma astrology, every moment on the Akshaya Tritiya day is auspicious and there is no need to look for a muhurat on the day. Sanatan Dhrmi , Buddhists, Jains celebrate this day.

It is believed that 
Satya Yuga, Golden Age and Treta Yuga started on this day. According to Puranas, this day marks the beginning of the Treta Yug.

On this day the Sun and Moon are at their peak of brightness. 

Ved Vyaasa dictated and 
Lord Ganesha started to write the Mahabharata on this day.

Parashurama, the personification of Valour and the sixth Incarnation of Vishnu was born on this day. 

Goddess Vijaya Chamundeshwari killed Asura on this day.

Lord Krishna gave Draupadi a bowl called Akshaya Patram.

On Akshaya Tritiya the Pandavas unearthed weapons for victory.

Rishabhdev was the first Tirthankara of Jains. It is believed that Rishabha invented pottery, painting, sculpture.

According to Lakshmi Tantram, Sri 
Bhagwan prayed to Maha Laxmi on this day.

The sun is the strongest from April 14 to May 15, when it is exalted.

Maa Ganges descended to the earth from the heaven on this day.

Barley, one of the main ingredients for homa, which is the 
yuga dharma of Treta Yuga, was also created on this day.

Sudama or Kuchela visited Lord Krishna in 
Dwarka with a handful of beaten rice (poha or aval) on this day.

What kind of worship is done: 

Kubera 
Lakshmi Puja

Padmavati 
Pooja; For mental peace, business and wealth

Lord Vishnu – recite Vishnu Sahastranam. 

Perform simple Vishnu pooja in the morning with Tulsi leaves and flowers.

Tulsi water is sprinkled during Aarti. 

Fasts, charity, a dip in the Sacred Rivers like the Ganga are undertaken. 

Worship Lard Vasudeva with rice grains.

Offer barley in a sacred fire.

Offer annadan to poor.

Worship Lord Ganesha & Devi Lakshmi on this day.

Pray to one of the Astadikpalakas Sri Bhawan Kuber today.

Perform Mahalaxmi Anushtaan.

Throw 4 kaudis in all 4 directions to attract wealth opportunities.

Perform shatru shanti anushtaan so that enemies never trouble them again.

Recite anang mantra jaap to improve health and to reduce impotency problems.

Perform Sadashiv pooja with neem leaves, these leaves when placed under a sick man's pillow are believed to cure the illness.

Recite Mahamritunjaya mantra or perform Rudra Havan.

Offer barley preparations to your Eshat.

Offer Poha to 
Sri Krishna just as Sudama did.

Donate Umbrellas, sandals to poor.

Preform 
Sri Yantra Pooja since, the sixth incarnation of Lord Vishnu Bhagwan Parashuram brought Sri Vidya or Sri Yantra to the world today. 

Kubera Lakshmi Puja; Ishwarya Abhivridhi

The God of Wealth & the Guardian of North; Chanting of Kuber Mantra blesses the worshipper with money and prosperity by drawing new avenues and sources of income and wealth. Mantra of Kubera helps to increase the flow of funds and the ability to accumulate wealth.
|| Kubera Mantra ||
Oṃ Shaṃ Kuberāya Namaḥ

" Om Hreem Shreem Hreem Kuberay Namah"

" OM Shreem OM Hreem Shreem Kleem Shreem Viteshwaray Namah"
Om yakshaya Kuberaya Vaishvaranaya

Dhana Dhanyathi Pathayae
Dhana Dhanya Samruthime
Dehi Tapaya swaha!

The puja starts in the morning and ends in the evening. If possible perform this pooja for 108 days to remove financial troubles Or you can recite Kuber laxmi moola mantra for 108 days. A photo of 
Goddess Lakshmi Devi along with Sudarsana Kubera Yantra could be used for the puja. 

The moola mantra as follows: 

Kubera Twam Danadeesam Gruha Te Kamala Sithta 
Tam Devem Prehayasu Twam Madgruhe te Namo Namah. 

Akshaya Tritiya is also called Navanna Parva.

Akshaya Tritiya is traditionally observed as the birthday of Parusurama, the sixth incarnation of Lord Vishnu. Puranas spoke about how he reclaimed the land from the sea. The brightness of the Sun and Moon is at its best at the west coast of India. Goa and Konkan regions, even today, are referred to as Parusurama Kshetra. He then settled 96 selected families there, called Shahanavkuli 
Brahmins, who are said to have created the cultural heritage of this part of India.

Akshaya Patram 
Lord Krishna gave Draupadi a bowl called Akshaya Patram. This bowl gave infinite amount of food to the Pandavas when the latter were in exile. On Akshaya Tritiya the Pandavas unearthed weapons, which helped the latter to gain victory over the Kauravas. 

New beginnings like weddings, business ventures, new deals, new audit books, business trips are considered to bring luck. Valuables bought on this day, such as gold is deemed auspicious. It is believed that gold multiplies if bought on this day. 

Akshaya Tritya is an occasion known for bringing communities together. The day is considered auspicious by Hindus and Jains for the purchase of gold, an expression that in some ways is indicative of wealth, beauty and joy. In Rajasthan, the day is called Aakha Teej and is considered very auspicious for weddings as well. 

The day is generally observed by fasting and worship Lard Vasudeva with rice grains. The day gains more importance when it falls on a Monday or under Rohini Star. A dip in the Ganges on this day is considered to be very auspicious. Akshaya Tritiya is also called Navanna Parvam. This day also happens to be Parusurama Jayanti. Akshaya Tritiya falling on a Rohini star day is considered more auspicious. Needless to say, this rare occasion comes this year. 
Lord Kubera, considered to be the richest, is one amongst the Astadikpalakas. Lakshmi Tantram says that this Lord will himself pray to Goddess Lakshmi on this day. 

Most of us are already aware of Dharma, Artha, Kama and Moksha. Out of these, Artha plays an important role. Artha here means money. Even decades passes by, the importance of Artha remains the same. Without Artha, nothing can be achieved. Here Artha merely does not only mean money but also includes honour, happiness etc.

" A child can survive without his mother but he cannot survive without Lakshmi". Shri Devi Bhagwat Maha Puran

Too many people are hurting at the moment, you are not alone. Keep praying; SHE is going to hear you, SHE has to.

The sun is a natural giver, giving freely to one and all. Those born in May are natural social reformers since they have an integral part of the sun within them. They stand out brilliantly in life, easily overshadowing others. Basaveshwara was born on May 4, Ramanujacharya and 
Adi Shankaracharya on May 6, Swami Chinmayananda on the 8th and Gautam Buddha on the 16th. Thus, between Akshay Tritiya and Buddha Poornima, there is a celestial gathering and many Mahatmas are born. Almost all social reformers are born during this period and they believed in one thing, CHANGE YOURSELF. The world outside will change dramatically when you change yourself. 

Saturday, April 11, 2009

SHIV PURAAN KA MAHATVA

Shiv Puran ka mahatva aap Aadarpurvak sunain:
SHIV PURAN Vedant ka saar sarvasva hai aur wakta (speaker-reader-chanter) evam shrota (listener) key samast paap-rashiyon sey uddhar karney wala hai.Itna hee nahin, Shiv Puran parlok mein parmarth wastuo ko deney wala hai. Dharm, Arth, Kaam aur Moksh - in charon ki prapti SHIV PURAN ko padney ya sunaney se hotee hai.
SHIV PURAN mein 24000 shloka hain aur yeh Vedtulay

Puran saat Sahintaon mein vibhajit hai:
(1) VIDHEYSHWAR SAHINTA;

(2) RUDRA SAHINTA;

(3) SHATRUDRA SAHINTA;

(4) KOTI-RUDRA SAHINTA;

(5) UMA SAHINTA;

(6) KAILASH SAHINTA;

(7)WAYWEEYAY SAHINTA..
.
Jo badey aadar sey Shiv Puran ko padta hai ya sunta

hai wah Bhagvan Shiv ka priya hokar param gati ko

prapt hota hai!

Kaan sey Bhagvan naam-gun aur lilao ka shravan,vaanee se unka keertan aur man dvara unka manan, in teeno ko mahasadhan kaha gaya hai.To chant and jap the name and qualities of Bhagvan Shiv,to listen the various actions,to go for Kirtan
of his name, through our speech/tongue and the jaap of His name every moment,are the supreme ways of attaining the blessings of Almighty.

JO SHRAWAN, KIRTAN AUR MANAN - IN TEENO SAADHANO KEY ANUSHTAN MEIN SAMARTH NA HO, WAH BHAGWAN SHANKAR KEY LING EVAM MOORTI KI STHAPNA KARKEY NITYA USKEE POOJA KAREY, TO SANSAAR-SAGAR SEY PAR HO SAKTA HAI.
by:S.P.Kulsari.....

Friday, April 10, 2009

SHIV POOJA MANTRA TATHA JAL CHADANE KEE VIDHI

:Q. Shivling kee pooja kin vedic mantro key saath karnee chahiye?
 
Ans. Shiv ling kee pooja should be done with the following  VEDIC mantras:
 
"OM SADHYOJAATAM.. PRAPADHYAMI ..SADHYOJATAY WAI NAMO NAMAH:
BHAVEY BHAVEYNATIBHAVEY BHAWASHWA MAA BHAODHBHAVAY NAMAH:
 
OM WAAMDEVAY NAMO..JYESHTAY NAMAH:, SHRESHTAY NAMO RUDRAAY NAMAH: KALAAY NAMAH: KALVIKARANAAY NAMO BALVIKARANAY NAMO BALAY NAMO BAL PRAMATHAAY NAMAH: SARV BHOOT DAMNAAY NAMO NAMO-UNMATHAY NAMAH:"
 
While offering water,pahley thoda jal Shivling key upar, phir todee dhar...Ganapati key upar phir..Parvati ji key upar, phir...Kartikaye key upar, phir..Nandi ji ke upar, tab phir finally.............whole water, poorey Shivling key upar sey dheerey dheerey, aisa lageki ............Hamarey Bholeynaath ko hum Doodh, Panchmarit sey nahala rahey hain aur us waqt, 12 jyotrilingo kaa naam lena chahiye,which are as followes....
 
SAURASHTREY SOMNAATHAM CHA SHREE SHAILEY MALLIKARJUNAM;

UJAAINAM MAHAKAALAM ONKAREY MAMLEYSHWARAM;

KEDARAM HIMWATPRISHTEY DAKIYANAM BHEEMSHANKARAM;

VARANASHYA VISHEWSHAM TRAYUMBAKAM GAUTAMI TATHEY;

VAIDHYANATHAM CHITABHUMO NAGESHAM DARUKABANEY;

SHETUBANDH TU RAMESHWARAM. GHUSHMESHAM TO SHIVALAYEY;

DWADSHAITANI NAMANI PRATH RUTHAY YEH PATHETH,

SARV PAAP VINIRMUKTA...SARV SIDDHI FALAM LABHET"

 
DWADASH JYOTRILING(names in hindi)
 
(1) SOMNATH (Saurashtra in Gujarat- kathiawad area)

(2)SHRI MALLIKARJUN (At the coast of River Krishna in Krishna Distt Madras)

(3) MAHAKALESHWAR (Ujjain- MP,Ujjain is called Avantikapuri)

(4) ONKARESHWAR (At the coast of river Narmada -Malwa - MP)
 
(5) KEDARNATH (Kedareshwar - Himalaya in Uttrakhand -150 miles fromHardwar)  

(6)SHREE BHEEMSHANKAR (Maharashtra- 120 miles away from Nasik)

(7)SHREE VISHWANATH (Varanasi- Kashi)

 (8)TRAYUMBAKESHWAR (Maharashtra-at the cost of river Godavari)

(9)SHREE VAIDHYANATH (in Santhal Pargana-near Parli railway station,South Hyderabad)


(10) NAGESHWAR (In Baroda state,Darukavan -13 km away from Gomti-Dwaraka)
 
(11) RAMESHWARAM (Ramnatham distt in Madra)


(12) GHUSHMESHWAR (12 Km far from Daulatabad station in Hyderabad)
 
 JAI MAHAKAAL....JAI SHIV SHANKAR...
Note:Shivling par jal dophar 12 baje tak hi chadhta hai uske baad nahi,sham ko pushp arpand kar sakte hai.

Presented by:S.P.Kulsari(my astro friend on Orkut)


MAA KE VIBHINN ROOPON KI MAHIMA

Mahakaali

Ek baar jab pura sansaar pralay se grast ho gaya tha, charo or pani hi pani dikhaai deta tha, us samay bhagwaan Vishnu ki naabhi se ek kamal utpann hua. Us kamal se Brahmaa ji nikale. Bhagwaan Narayan ke kaano se kuchh mail bhi nikla. Us mail se ketabh or madhu naam ke 2 daitya bane. Jab un daityon ne charo or dekha to unhe Brahma ji ke alava kuchh nahi dikhaai diya. Brahma ji ko dekh kar ve daitya unhain maarne ke liye bhage.Tab bhaybheet Brahma ji ne Vishnu ji ka aahvahan kiya. Brahma ji ke aahvahan se Vishnu ji ki aankho me se jo mahamaaya. Brahma ki yog nidra ke roop me nivaas karti thi lop ho gai, aur Vishnu bhagwaan ji ki aankhe khul gai. Unke jaagte hi ve dono daitya bhagwaan Vishnu ji se ladne lage. Is parkaar 5 haraaz varsho tak yudh chalta raha. Ant me bhagwaan ki raksha ke liye Mahamaaya ne asooro ki budhi ko bal diya. Tab ve asoor bhagwaan Vishnu se bole "Hum aapke yudh se pareshan hai. Jo chahe var maang lo." Bhagwaan Vishnu ne manga ki daityo ka nash ho jaaye. Daityo ne tathastu bol diya or is parkaar Detayo ka vinaash hua. Detayo ko budhi dene Mahamaaya Mahakali gai thi.

Mahalakshmi

Ek samay Mahishasur naam ka ek daitya hua.Usne samst rajaao ko harakar Prithvi aur Pataal par apna adhikaar jama liya.Jab vah devtaao se yudh karne lagaa to devta bhi usse yudh main haarkar bhagne lage Bhagte bhagte ve bhagwaan Vishnu ke paas pahuche aur us daitya se bachne ke liye stuti karne lage. Devtaao ki stuti karne se bhagwaan Vishnu or Shankar ji jab prasann huye,tab unke shareer se ek tej nikla, jisne Maha Lakshmi ka roop dharan kar liya. Inhi Maha Lakshmi Maata ne daityon ko yudh me maar kar devtaao ka kasht door kiya.

Chamunda

Ek samay Shumbh-Nishumbh naam ke do daitya bahut bal-shaali the.Unse yudh main manushaya to kyaa devta tak har gaye.Jab devtaon ne dekha ki ab yudh me nahi jeet sakte, to ve swarg chhodkar bhagvaan Vishnu ki stuti karne lage.Us samay bhagwaan Vishnu ke shareer me se ek jyoti parkat hui, jo ki Maa Saraswati thi.Maa Saraswati ataynat Roopwaan thi.Unka roop dekh kar daitya mugdh ho gaye aur apna Sugreev naam ka doot unke paas apni ichcha parkat karne ke liye bheja.Us doot ko devi ne vapas kar diya!. Iske baad un dono ne kuchh soch-samjh kar apne senapati Doobhrash ko sena sahit bheja, Vo Devi dvara sena sahit mara gaya.Fir Chand Mund ladne aaye, ve bhi mare gaye. Iske baad Rakt Beej ladne aaya, jiske rakt ki ek boond jamin par girne se ek or Rakt Beej paida ho jaata tha. Use bhi Maata ne maar giraya. Ant me Shumbh-Nishumbh dono Mata se svayam ladne aaye, or unka bhi sanhaar Mata ke hi haatho hua.

Yogmaaya

Jab Kans ne Vashudev-Devki ke 6 putro ka vadh kar diya tha or 7ve garbh me Sheshnaag Balraam ji aaye jo Rohini ke garbh me parvesh  kar parkat huye, tab 8va janam Krishan ji ka hua. Saath hi saath Gokul main Yashoda ke garbh se Yogmaaya ka janma hua jo Vashudev ji ke dawaara Mathura  laai gai. Jab Kans ne kanya savroopa us Yogmaya ko marne ke liye patkana chaha tab usne aakash me jakar devi ka roop dharan kar liya. Aage chalkar isi Yogmaya ne Krishan ji ke saath Yogvidya or Maha Vidya bankar Kans aur Charoon jaise saktishaali aasuro na naash kiya.

Raktdantika

Ek baar Veprichit naam ke asur ne bahut se kukaram karke Prithivi ko vayakul kar diya tha.  Uske kukaram dekh kar devtaao ko bhi bhay ho gaya tha. Devtaao or Prithvi ki parthana par us samay maa Durga ne Raktdantika naam se avtaar liya.Yeh devi asuro ko maar kar unka rakt paan kiya karti thi Isi karan inka naam Raktdantika vikhayat hua.

Shaakumbhari

Ek samay prithvi par 100 varsho tak barsaat nahi hui thi. Isi karan charo or hahakaar mach gaya .Sabhi jeev bhookh or pyaas se vayakul ho kar marne lage.  Us samay muniyo ne mil kar devi Bhagwati ki upsana ki. Tab maa Jagdambe ne Shaakumbhari Maa ke roop me Janam liya or unki kirpya se varsha hui. Jisse prithvi se samast jeevo ko jeevandaan prapat hua.


Bhramari

Ek baar Maha atyachaari Arun naam ka asur paida hua. Usne swarg me jaakar updarv karna shuru kar diya. Devtaao ki patniyo ke satitav ko nasht karne ki cheshta karne lagaa. Apne satitav ki raksha ke liye dev patniyo ne bhero ka roop dhar liya or Devi Durga ki puja karne lagi. Dev patiniyo ke satitav ki raksha ke liye Maat Durga ne Bhramari ka roop dharan kiy aur us aasur ko uski sena sahit maar giraya tatha dev patniyo ke satitiva ki raksha ki.

Chandika

Ek baar prithvi par Chand Mund naam ke 2 asur paida huye.Ve itne balwaan the ki unhone sansaar me apna samrajay faila liya or devtaao ko bhi harakar vaha apna rajay sathpit kar liya.  Is parkaar devta bohut dukhi huye or Maa Durga ki puja karne lage. Tab Maa Durga Chandika ke roop me avtarit hui or unhone rakshso ka sanhaar karke ek baar fir se sansaar ko aasuro ke atayacharo se mukt karaya.









Thursday, April 9, 2009

MAA DURGA KE 8 NAAM

"JAYANTI  MANGALAKALI BHADRA, KALI KAPALINI, DURGA KASHMASHIVA DHATRI, SVAHA SUDHA, NAMASTUTE...JAITWAM DEVI CHAMUNDAY,JAI BHOOTARTH HARINI,JAI SARVA GATEYDEVI,NARAYNI NAMOSTUTE"

FROM- S.P.Kulsari...........


Monday, March 16, 2009

RAHU KAL (Day Wise)

  • Sunday - 4:30 pm to 6 pm
  • Monday - 7:30 am to 9 am
  • Tuesday- 3 pm to 4:30 pm
  • Wednesday- 12 pm to 1:30 pm
  • Thursday- 1:30 pm To 3 pm
  • Friday- 10:30 am to 12 pm
  • Saturday- 9 am t0 10:30 am
Abhijeet Nakshatra
Every Sunday from 11:45 to 12:26
This is the most pious nakshatar.( Koi bhi shubh kaam bina mahurat dekhe keejiye is nakshatra main).All sikhs get married during this period.

By-Mr.S.P.Kulsari (my astro friend on Orkut).

Sunday, March 8, 2009

Names of DWADASH JYOTRI LINGAMS

FIRST SANSKRIT...THEN...HINDI..SERIALWISE

"SAURASHTREY SOMNAATHAM CHA...SHREE SHAILEY MALLIKARJUNAM;
UJAAINAAM MAHAKAALAM, ONKAREY MAMLESHWARAM;
KEDARAM HIMWATPRISTHEY, DAKIYANAAM BHEEMSHANKARAM;
VARANASYA VISHWANAATHAM, TRAYUMBAKAM GAUTAMI TATEY;
VAIDYANAATHAM CHITA BHUMO, NAGESHWARAM DARUKABANEY;
SETU BANDHU TU RAMESHWARAM, GHUSMESHAM TO SHIVALAYEY
DWADISHAITANI NAMANI, PRATAH RUTHYAY YEH PATHET,
SARVA PAAP VINIRMUKTA...SARV SIDHI FALAM LABHET....."
 
 
HINDI MEIN :
 
(1) SOMNATH -Saurashtra (in Gujarat- kathiawad area)
(2)SHREE MALLIKARJUN - at the coast of River Krishna in Krishna Distt(Madras)
(3)MAHAKALESHWAR (Ujjain- MP) (Ujjain is called Avintakapuri)
(4)ONKARESHWAR - (At the coast of river narmada -malwa - MP)
(5)KEDARNATH (KEDARESHWAR) - Himalaya in Uttrakhand -150 miles fromHardwar)
(6)SHREE BHEEMSHANKAR (Maharashtra- 120 miles away from Nasik)
(7) SHREE VISHWANAATH JI (VARANASHI- KASHI)
(8) TRAYUMBAKESHWAR (MAHARASHTRA-at the cost of river Godavari)
(9)SHREE VAIDYNATH (in santhal pargana-near parli railway station-south hyderabad)
(10) NAGESHWAR (IN BARODA  state- Darukavan -13 km away from gomti-dwaraka)
(11)RAMESHWAR (Ramnatham distt in Madra)
(12)SHREE GHUSMESHWAR (12 Km far from Daulatabad station in Hyderabad)
 
JO PARTIDIN PRATAH KAAL UTHKAR IN 12 JYOTRILINGO KA PAATH KARTA HAI, WAH SAB PAPON SEY MUKT HO SAMPURN SIDDHIYON KA PHAL PRAPT KARTA HAI..
 
JAI MAHAKALESHWAR...

.FROM S.P.KULSARI...........
(My astro friend on Orkut)


Whose responsibility is it to give moral education school or home?

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