Monday, October 5, 2009

गायत्री महामंत्र


गायत्री महामंत्र और उसका अर्थ
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
भावार्थ: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे ।
ओम् भूभुर्व: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।ड्ढr गायत्री दो शब्दों ‘गा’ और ‘त्रायते’ के योग से बना है। ‘गा’ का अर्थ गाना अथवा प्रार्थना करना और त्रायत का अर्थ है दु:खों, कष्टों और समस्याओं से मुक्ित। जो भी गायत्री मंत्र के अर्थ को जान लेता है तथा उसके उपदेशों को अपने व्यावहारिक जीवन में सत्यनिष्ठा और भक्ितभाव पूर्वक उतारता है, वह निश्चय ही कठिन से कठिन बाधाओं और समस्याओं को पार करता हुआ जीवन में सदा सर्वत्र आगे बढ़ता है। गायत्री मंत्र परमेश्वर प्राप्ति की तीनों प्रक्रियाओं अर्थात् स्तुति, प्रार्थना और उपासना के लिए है। इस मंत्र को सावित्री मंत्र, गुरुमंत्र और महामंत्र भी कहते हैं। ‘ओइम्’ ईश्वर अर्थात् ब्रह्मा का मुख्य नाम है। ईश्वर सृष्टि रचयिता और सर्वपालक हैं। प्राणस्वरूप तथा प्राणदाता परमेश्वर द्वारा प्रदत्त जीवनदायिनी शक्ित को ‘भू:’ कहा गया है। ईश्वर की परम चेतना शक्ित को ‘भुव:’ कहा गया है। परमेश्वर इस अनुपम शक्ित के द्वारा जीवमात्र के दु:ख, कष्ट, पीड़ा और निराशा को दूर कर ब्राह्मंड को नियंत्रित तथा संचालित करता है। ‘सविता’ देव हमें सुपथ पर चलन के लिए बु िदे। परमेश्वर प्रदत्त परमानंद ‘स्व:’ है। सृष्टि रचयिता, संचालक, जीवन प्रदाता, सर्वदु:खनाशक परमेश्वर परमानन्द से परिपूर्ण है। अत: परमेश्वर के विशेष गुणों को दर्शाने वाले भू, भुव: और स्व: शब्दों के द्वारा हम परमेश्वर की स्तुति करते हैं। ‘वरेण्यम’ अर्थात् हम ईश्वर की महानता को स्वीकार करते हैं। ‘भर्गो देवस्य धीमहि’ का उच्चारण कर हम उस देदीप्यमान परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमारे अज्ञान एवं दोषों को दूर करें। ‘धियो यो न: प्रचोदयात’ के द्वारा हम उस सृष्टिपालक परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमारी बु िऔर मन को श्रेष्ठ और उत्तम कर्मो में लगाएं। यह मंत्र हमारी बु िको बुमित्ता की ओर ले जाता है और कर्मो को प्रज्वलित करता है। लोकमान्य तिलक के शब्दों में यदि कुमार्ग का त्याग कर सन्मार्ग का अनुसरण करना चाहते हैं तो नित्य प्रति गायत्री मंत्र का जप कीजिए। यह किसी भी अवसर के लिए अत्यधिक उत्तम मंत्र है।ं
Gayatri mahamantra Hindus key 4 Vedos mein sey 3 vedos mein likha gaya hai..so it is really very powerful mantra like MAHAMRITUNJAY MANTRA
By S.P.Kulsari (my astro friend)

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Whose responsibility is it to give moral education school or home?

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